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प्रीति व नेस की तकरार

एक दौर में अभिनेत्री प्रीति जिंटा और मशहूर बिजनैसमैन नेस वाडिया फिल्मी दुनिया के सब से खूबसूरत और जैंटलमैन कपल माने जाते थे. लंबे समय से चल रहा उन दोनों का अफेयर उस वक्त बिजनैस पार्टनरशिप में बदल गया जब प्रीति और नेस ने मिल कर आईपीएल की टीम पंजाब किंग्स इलेवन खरीदी. लेकिन अब इन दोनों की रोमैंटिक और बिजनैस पार्टनरशिप में गहरी दरार आ चुकी है. दरअसल, प्रीति ने जब से नेस वाडिया पर बदसलूकी और छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, तभी से दोनों के रिश्तों की कड़वाहटें एकएक कर सामने आ रही हैं बीच में वाडिया परिवार ने पुलिस को शिकायत में कहा था कि उसे अंडरवर्ल्ड से धमकी मिल रही है. फिलहाल, मामले की तफ्तीश चल रही है. प्रीति ने अपना बयान दर्ज करा दिया है. दोनों ने अपने रिश्ते के ऐसे अंजाम की कल्पना शायद ही की हो.

एअरपोर्ट पर फंसी ऋचा

फिल्म ‘फुकरे’ में दबंग किरदार निभाने वाली अदाकारा ऋचा चड्ढा पिछले दिनों हवाई अड्डे पर रोक ली गईं. खबर है कि सुरक्षा अधिकारियों को यात्री सामान की जांच के दौरान उन के बैग में कुछ संदिग्ध पदार्थ होने की शंका थी. लिहाजा, उन्हें एअरपोर्ट पर ही रोक कर उन से पूछताछ की गई. बाद में पता चला कि सुरक्षा अधिकारी जिस पदार्थ को संदिग्ध मान रहे थे वह कुछ और नहीं बल्कि आयुर्वेदिक पाउडर था जो ऋचा अपनी स्किन की देखभाल के लिए इस्तेमाल करती थीं. ऋचा के मुताबिक उन्हें 2 घंटे से ज्यादा समय लग गया यह समझाने में कि उन के पास कोई अवैध सामान नहीं, बल्कि दवा है. पर चूंकि सुरक्षाकर्मी अपना काम कर रहे थे इसलिए उन्होंने उन्हें पूरा सहयोग दिया. वैसे ऋचा का यह आयुर्वेद प्रेम उन्हें मुश्किल में डालने वाला साबित हुआ. संभल कर ऋचा, यह तो मुंबई एअरपोर्ट की बात थी, कहीं और होतीं तो मामला संगीन हो सकता था.

आफताब की शादी

फिल्म अभिनेता आफताब शिवदासानी का फिल्मी कैरियर कुछ खास नहीं चल रहा था. पिछले दिनों उन की इक्कादुक्का फिल्में ही रिलीज हुईं. ‘ग्रैंड मस्ती’ को छोड़ दिया जाए तो लंबे अरसे से उन्होंने कोई कामयाब फिल्म नहीं दी है. कैरियर के इस फेज को समझते हुए आफताब ने घर बसाने की तैयारी कर ली और पिछले दिनों अपनी गर्लफ्रैंड निन दुसांझ से शादी कर ली. एक पार्टी के दौरान निन से मिले आफताब ने यह विवाह बेहद निजी तरीके से किया. निन दुसांझ ब्रिटिश इंडियन मूल की हैं, जो हौंगकौंग में 6 साल तक लग्जरी ब्रैंड इंडस्ट्री से कंसल्टैंट के तौर पर जुड़े रहने के बाद 2012 में इंडिया में सैटल हो गई थीं. सुनने में आया है कि दोनों जल्द ही शानदार रिसैप्शन पार्टी करेंगे. वैसे आफताब का यह कदम सूझबूझ भरा लगता है.

दिलीप का किताबनामा

टै्रजडी किंग दिलीप कुमार की जिंदगी को किताब की शक्ल में उन की पत्नी सायरा बानो ने उतारने की कोशिश की है. ‘सब्स्टैंस ऐंड शैडो’ नाम की इस किताब का लोकार्पण हाल ही में अमिताभ बच्चन और आमिर खान ने मिल कर किया. वैसे तो इस किताब को दिलीप साहब के पारिवारिक मित्र उदय तारा नायर ने लिखा है लेकिन ज्यादातर हिस्से दिलीप कुमार की जबानी बयां हैं. इस पुस्तक में इस स्टार के जीवन की कहानी सिलसिलेवार ढंग से कही गई है. उन के बचपन, कैरियर, देश विभाजन से ले कर परिवार व जीवन के उतारचढ़ावों का जिक्र है. यों तो दिलीप कुमार स्वास्थ्य कारणों के चलते लोकार्पण के दौरान कुछ बोल नहीं पाए लेकिन उन की तारीफ में बौलीवुड की नामी हस्तियों ने गुजरे जमाने की यादें जरूर साझा कीं.

जैकलीन की किक

श्रीलंकन ब्यूटी और फिल्म अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज पिछली बार फिल्म ‘रेस-2’ में नजर आई थीं. फिल्म ने 100 करोड़ रुपए कमाए थे. उस के बाद उन्होंने अगली फिल्म के लिए लंबा गैप लिया. वे अब एक बार फिर से सुपरहिट फिल्म की आस में सलमान खान के साथ फिल्म ‘किक’ में नजर आएंगी. जैकलीन जब फिल्म का फर्स्ट लुक लौंच कर रही थीं, उस दौरान किसी पत्रकार ने उन की तुलना गुजरे जमाने की खूबसूरत अदाकारा जीनत अमान से कर दी तो वे फूली नहीं समाईं. जैकलीन के मुताबिक, यह उन के लिए सब से बड़ा कौंप्लीमैंट है. फिलहाल जैकलीन को ईद का इंतजार है क्योंकि इसी दिन उन की फिल्म ‘किक’ उन के कैरियर को बड़ा किक दे सकती है.

एक्सपोज

हिमेश रेशमिया इस से पहले कुछ फिल्मों में बतौर नायक आ चुका है परंतु सफल नहीं हो सका है. इस फिल्म में उस ने खुद के लिए एक ऐसा किरदार चुना है जो फिल्म में फिट हो सके. इस के लिए उस ने कहानी के नाम पर सस्पैंस थ्रिलर का चुनाव किया है. लेकिन अफसोस, यह सस्पैंस दर्शकों को बांध नहीं पाता. फिल्म की कहानी जानीमानी फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ जैसी लगती है, जिस में फिल्म की नायिका की होटल की छत से गिर कर मौत हो जाती है और पुलिस का शक एकएक कर सभी किरदारों पर होता है. यह कहानी 80-90 के दशक जैसी लगती है.

फिल्म की यह कहानी बिखरी हुई है. इस कहानी को निर्देशक संभाल नहीं पाया है. निर्देशक ने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की तर्ज पर हीरोइन को जीनत अमान की तरह के गेटअप में कुछ सीन में दिखाया है. फिल्म की इस कहानी को सूत्रधार इरफान से कहलवाया गया है. फिल्म के संवाद अच्छे हैं. अभिनय की दृष्टि से हिमेश रेशमिया ने निराश किया है. हनी सिंह गायक के रूप में तो ठीक लगता है, परंतु अभिनय के मामले में नहीं. दोनों नायिकाएं नई हैं. दोनों ने अपनेअपने हुस्न को एक्सपोज करने की कोशिश की है. फिल्म का गीतसंगीत अच्छा है.

हीरोपंती

औनर किलिंग पर बनी इस फिल्म में जैकी श्रौफ के बेटे टाइगर श्रौफ ने हीरोपंती दिखाने की कोशिश की है. उस ने बारबार अपनी शर्ट उतार कर अपनी जिम बौडी और एब्स दिखाए हैं तो बू्रस ली की तरह ऐक्शन दृश्य किए हैं. वह उछल कर ऊंचीऊंची दीवारों पर चढ़ा है तो डांस भी किए हैं. मगर जो उस ने नहीं किया वह है ऐक्ंिटग. 2 साल तक ऐक्ंिटग सीखने के बाद भी ऐक्ंिटग में वह नौसिखिया दिखा है.

यह फिल्म 2008 में आई तेलुगु फिल्म ‘परुगू’ की रीमेक है. फिल्म बहुत लाउड है. टाइगर श्रौफ का चेहरा पूरी फिल्म में फ्लैट है. फिल्म की दोनों नायिकाएं कठपुतली जैसी लगती हैं जो अपने परिवार के दबंग पुरुषों के इशारों पर चलती हैं और उन की जबान से डर के मारे बोल तक नहीं फूटते. दोनों नायिकाओं की संवाद अदायगी भी खराब है.

कहानी एक ऐसे जाट गांव की है जहां लड़कियों का प्यार करना गुनाह माना जाता है. ऐसे ही एक दबंग परिवार का मुखिया है चौधरी (प्रकाश राज). उस की 2 बेटियां हैं. बड़ी बेटी रेनू (संदीपा धर) और छोटी डिंपी (कृति सेनन). रेनू शादी वाले दिन अपने प्रेमी के साथ घर से भाग जाती है. चौधरी अपनी बेटी के प्रेमी के दोस्तों को पकड़ लाता है. इन में बबलू (टाइगर श्रौफ) भी है. चौधरी की कैद में रह कर बबलू को चौधरी की दूसरी बेटी डिंपी से प्यार हो जाता है. चौधरी बबलू और उस के दोस्तों को साथ ले कर रेनू को ढूंढ़ने निकलता है. उसे दिल्ली में रेनू और उस का प्रेमी मिल जाते हैं. चौधरी के परिवार वाले उन दोनों को मार डालते हैं.

अब चौधरी डिंपी की शादी की तैयारी करता है. ऐन शादी वाले दिन बबलू और उस के दोस्त डिंपी को किडनैप करने के लिए मंडप में पहुंचते हैं. चौधरी बबलू और डिंपी के प्यार को देख कर पसीज जाता है और डिंपी का हाथ बबलू के हाथों में दे देता है. फिल्म की यह कहानी मध्यांतर से पहले तो एकदम फुस्स है लेकिन मध्यांतर के बाद फिल्म में जान आती है. फिल्म के इस भाग में टाइगर श्रौफ के बढि़या ऐक्शन सीन देखने को मिलते हैं. फिल्म का निर्देशन साधारण है. निर्देशक ने टाइगर श्रौफ को हाईलाइट करने के लिए कैमरा ज्यादातर उसी पर रखा है. चेहरेमोहरे से वह हीरो नहीं लगता. हीरोइन के मुकाबले उस की उम्र कम लगती है.

फिल्म के सारे कलाकार नए हैं. प्रकाश राज को छोड़ कर कोई कलाकार प्रभावित नहीं करता. फिल्म का संगीत साजिदवाजिद ने दिया है. सभी गीत अच्छे फिल्माए गए हैं.

फगली

इस फिल्म में एक गाना है, ‘यह फगली…फगली क्या है’. दर्शक शायद ‘फगली’ का मतलब न समझ पाएं लेकिन हम आप को बता दें कि फगली का मतलब है ‘फाइटिंग अगली’. इस फिल्म में युवाओं द्वारा सिस्टम में बदलाव लाने की कोशिश की गई है लेकिन यह कोशिश हास्यास्पद बन कर रह गई है. हालांकि निर्देशक ने सिस्टम में फैली कई बुराइयों की ओर इशारा किया है. मसलन, निर्दोष लोगों को फांसने में पुलिस कैसेकैसे हथकंडे इस्तेमाल करती है, पुलिस और राजनेताओं की सांठगांठ, मीडिया वालों द्वारा टीआरपी पाने के लिए हद से गुजर जाना, ईवटीजिंग और पुलिस के संरक्षण में चलने वाली ड्रग्स पार्टियां, फिर भी ये सब दर्शकों पर अपना असर नहीं छोड़ पातीं.

‘फगली’ कुछ साल पहले आई आमिर खान की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ से प्रेरित लगती है लेकिन यह उस फिल्म का मुकाबला बिलकुल भी नहीं कर सकी है. शुरू से आखिर तक निर्देशक कन्फ्यूज्ड रहा है. मध्यांतर से पहले तक तो फिल्म में दिखाए गए 4 दोस्तों को सिस्टम में सुधार लाने की सुध तक नहीं होती, मध्यांतर के बाद जब उन का पाला एक भ्रष्ट डीसीपी से पड़ता है तो अचानक उन्हें सिस्टम को सुधारने की सुधि आती है.

कहानी देव (मोहित मारवाह) नाम के एक नौजवान के नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति के पास आत्मदाह से शुरू होती है. उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाता है जहां वह एक चैनल की रिपोर्टर को आपबीती सुनाता है.

देव, देवी (कियारा आडवाणी), गौरव (विजेंदर सिंह) और आदित्य (आरफी लांबा) 4 दोस्त हैं. गौरव दिल्ली में एक बाहुबली मंत्री का बेटा है और देव एक ऐडवैंचर कैंप और्गेनाइजर है. एक दिन वे चारों दिल्ली पुलिस के अधिकारी चौटाला (जिमी शेरगिल) से टकरा जाते हैं और उन की जिंदगी में तूफान आ जाता है. चौटाला उन्हें ब्लैकमेल करता रहता है. तंग आ कर देव आत्मदाह करता है और मरतेमरते चौटाला की काली करतूतों को जनता के सामने लाता है. चौटाला को गिरफ्तार कर लिया जाता है परंतु मंत्री राजवीर सिंह अहलावत उसे मरवा डालता है.

फिल्म की यह कहानी कमजोर है. निर्देशक ने मीडिया को हास्यास्पद तरीके से पेश किया है. फिल्म के क्लाइमैक्स में अस्पताल के बैड पर लेटे देव का लेटेलेटे चौटाला से फाइट करना और फिर मर जाना तर्कसंगत नहीं लगता, मध्यांतर के बाद फिल्म जबरदस्ती खींची गई है.

फिल्म का निर्देशन कमजोर है. निर्देशक विषय को उभार नहीं सका है, न ही वह कलाकारों पर भावनात्मक दृश्य फिल्मा सका है. विजेंदर मुक्केबाज है. उस की यह पहली फिल्म है. उस का चेहरा फ्लैट रहा है. मोहित मारवाह भी नया है. वह साधारण ही रहा है. भ्रष्ट पुलिस अफसर की भूमिका में जिमी शेरगिल इस तरह की भूमिकाएं पहले भी कर चुका है. कियारा आडवाणी ने संभावनाएं जगाई हैं.

फिल्म का गीतसंगीत युवाओं को ध्यान में रख कर रचा गया है. गीत हरियाणवी लहजे में हैं. कुछ संवाद अच्छे हैं. छायांकन अच्छा है. शुरू में ‘अगली’ बाद में ‘फगली’ बनी यह फिल्म युवाओं को कोई प्रेरणा देने में असफल रही है

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