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राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्में

हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए बेहतरीन भारतीय फिल्मों का चयन हुआ. फिल्म ‘शाहिद’ के निर्देशक हंसल मेहता को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और इसी फिल्म में अभिनय करने वाले राजकुमार राव को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया. मलयालम अभिनेता सूरज वंजारामूदु भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुने गए हैं. वहीं, सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार आनंद गांधी की ‘शिप औफ थीसस’ को दिया गया है. इस के अलावा ‘जौली एलएलबी’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म, सर्वश्रेष्ठ स्पैशल इफैक्ट का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म ‘जल’ को और सर्वाधिक लोकप्रिय फिल्म के रूप में ‘भाग मिल्खा भाग’ का चयन हुआ.

सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार फिल्म ‘लायर्स डाइस’ में अभिनय करने के लिए गीतांजलि थापा, फिल्म ‘जौली एलएलबी’ के लिए सौरभ शुक्ला को सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता, सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री पुरस्कार 2 अभिनेत्रियों, अमृता सुभाष (फिल्म ‘अस्तु’) तथा आलिया एल काशिफ (फिल्म ‘शिप औफ थीसस’) को दिया गया.

खतरे में फिल्मी हस्तियां

भारत में आतंकवाद बड़ी समस्या है. इस की चपेट में अकसर आम लोगों के साथ बड़ी हस्तियां भी आती रही हैं. खबर है कि आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन को कथित तौर पर चला रहे तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने बताया है कि उन लोगों ने फिल्मी सितारों पर एक फिदायीन हमला कर के उन्हें एकसाथ मार डालने की योजना बनाई थी.

एक अंगरेजी अखबार की मानें तो तहसीन के मुताबिक फिल्मी कलाकार नग्नता को बढ़ावा दे कर यूथ को गुमराह कर रहे हैं. लिहाजा, उन्होंने ऐसा प्लान बनाया. कुछ साल पहले बनाया गया यह प्लान जाहिर है सफल नहीं हो सका लेकिन जांच एजेंसियों के लिए यह खबर जरूर चिंता का सबब बन गई है. प्रशासन को इसे हलके में नहीं लेना चाहिए और आतंकवादियों को सिर उठाने से पहले ही कुचल देना चाहिए लेकिन जब भी आतंकवादी हमले होते हैं तो कहीं न कहीं प्रशासन की चूक बताई जाती है. जान तो जान है, चाहे वह बौलीवुड हस्तियों की हो या फिर आम नागरिकों की.

 

यौन शोषण के जाल में कलाकार

टैलीविजन पर प्रसारित हो रहा धारावाहिक ‘जोधाअकबर’ पहले भी  कई तरह के विवादों का सामना कर चुका है. इस बार खबर है कि जोधा की भूमिका अदा कर रही अभिनेत्री परिधि शर्मा ने सीरियल के निर्देशक संतराम वर्मा पर यौन शोषण का आरोप लगाया है.

निर्देशक पर इसी तरह का आरोप लगा कर इसी शो की एक कलाकार शो छोड़ चुकी है. निर्देशक आरोप का खंडन कर रहे हैं. बहरहाल, इसी तरह एक वाकेआ फिल्म अभिनेता इंद्र कुमार के साथ भी पेश आया है. हाल ही में उन पर एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया है. उस का आरोप है कि इंद्र कुमार ने फिल्म में काम दिलाने के नाम पर उस का यौन शोषण किया. यौन शोषण करना अपराध है यह जानते हुए भी जब इस तरह की बातें सामने आती हैं तो वाकई शर्म आती है. अब देखना यह है कि इन दोनों मामलों में कितनी सचाई है.

 

टाइगर का टोटका

फिल्मी दुनिया में ज्यादातर सितारे किसी न किसी अंधविश्वास के शिकार हैं. उन की अपनीअपनी कमजोरी है, कोई किसी को अपना लकी चार्म मानता है तो कोई किसी मंदिर या दरगाह में फिल्म के हिट होने की प्रार्थना करता है. इसी फेहरिस्त में नाम जुड़ गया है अभिनेता जैकी श्रौफ के सुपुत्र टाइगर श्रौफ का. जिस तरह से अभिनेता सलमान खान हमेशा बे्रसलेट पहने रहते हैं उसी तरह टाइगर के गले में एक तावीज हमेशा लटकता रहता है. टाइगर इसे अपना लकी चार्म मानते हैं.

गौरतलब है कि टाइगर की पहली फिल्म ‘हीरोपंती’ जल्द ही रिलीज हो रही है और वे इस फिल्म को हिट कराने के लिए कोई भी टोटका नहीं छोड़ना चाहते. जनाब टाइगर, फिल्में टोनेटोटके से नहीं बल्कि अच्छी कहानी और एक्ंिटग से चलती हैं.

 

आदित्य की रानी

लंबी गपशप और मीडिया की अटकलों के बीच अभिनेत्री रानी मुखर्जी फाइनली रानी चोपड़ा बन ही गईं. चंद दिनों पहले ही रानी ने फिल्मकार आदित्य चोपड़ा के साथ इटली में शादी कर ली. बेहद निजी तौर पर हुए इस वैवाहिक कार्यक्रम में निकट के परिजन और दोस्त शामिल हुए. शादी का आयोजन छोटा था और अधिक तामझाम नहीं थे. वैसे दोनों में प्रेमप्रसंग तो कई सालों से चल रहा था लेकिन सार्वजनिक तौर पर दोनों ने कभी अपने रिश्ते को स्वीकार नहीं किया. अब जब दोनों की शादी हो गई तो रानी ने पहल करते हुए अपने फैंस को अपनी शादी की आधिकारिक सूचना दे दी.

36 वर्षीय रानी का कहना था कि 42 वर्षीय फिल्मकार से शादी के बंधन में बंधना किसी परियों की कहानी की तरह है.

 

रिवौल्वर रानी

पिछले दिनों कंगना राणावत की फिल्म ‘क्वीन’ की काफी तारीफ हुई. उस फिल्म में कंगना ने अभिनय की ऊंचाइयों को छुआ. दर्शकों का दिल जीतने के बाद अब कंगना ने ‘रिवौल्वर रानी’ में एक बेहद सख्त किरदार किया है. दिमाग से वह मानसिक रोगी लगती है, धांयधांय करती गोलियां बरसाती है और देखते ही देखते लाशों के ढेर लगा देती है. उस के अंदर सैक्स की भूख है. वह चंबल के बीहड़ों में रहती है और डकैत से पौलिटिशियन बनी है. दिखने में बदसूरत है. हमेशा आंखों पर काले रंग का मोटा चश्मा चढ़ाए रहती है. जी हां, यही वह किरदार है जिसे ‘रिवौल्वर रानी’ कहा गया है.

यह रिवौल्वर रानी ऊपर से जितनी सख्त है, अंदर से उतनी नरम भी है. हालांकि यह रिवौल्वर रानी इतनी ज्यादा ग्लैमरस नहीं लगी है फिर भी जिन दर्शकों को ‘बैड वूमंस’ और ‘बैड लोग’ पसंद आते हैं वे इसे एंजौय करेंगे. जिन्हें खुशनुमा फिल्म देखने की चाह हो वे इस से दूर रह सकते हैं.

‘रिवौल्वर रानी’ में कंगना राणावत ने अभिनय का वह परचम नहीं लहराया है जो उस ने ‘क्वीन’ में लहराया था. फिर भी इस फिल्म को ‘क्वीन’ का फायदा तो मिल ही जाएगा.

अलका सिंह (कंगना राणावत) बचपन से ही उपेक्षित रही थी. उस के बचपन में एक ठाकुर उस की मां के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है और उस के बाप को गोली मार देता है. एक दिन अलका उस आदमी का खून कर देती है. अलका का मामा बल्ली (पीयूष मिश्रा) उसे चंबल ले आता है. वह बन जाती है ‘रिवौल्वर रानी’. अब उस इलाके का मंत्री उदयभान तोमर (जाकिर हुसैन) उस का दुश्मन बन जाता है. अलका की मुलाकात एक फंक्शन के दौरान रोहन कपूर (वीरदास) से होती है. अलका उस से प्यार करने लगती है.

चुनाव सिर पर हैं. इधर, अलका अपने मामा पर दबाव डाल कर रोहन कपूर से शादी कर लेती है. वह गर्भवती हो जाती है. वह रोहन कपूर को साथ ले कर वेनिस में बसने की योजना बनाती है. लेकिन उस के विरोधी लोग उसे घेर कर गोलियों से छलनी कर देते हैं. घायल होने पर भी वह रोहन कपूर को भाग निकलने के लिए कहती है परंतु रोहन कपूर खुद उस पर गोलियां चला कर उसे ठंडा कर देता है.

‘रिवौल्वर रानी’ ब्लैकशेड लिए हुए है. इस फिल्म का हर किरदार धोखा देता नजर आता है. यहां तक कि नायिका से प्यार का दंभ भरने वाला नायक भी क्लाइमैक्स में खलनायक बन नायिका को मौत की नींद सुलाता है और उस के 10 करोड़ रुपए ले कर आगे बढ़ जाता है.

‘रिवौल्वर रानी’, जैसा कि शीर्षक से लगता है, नायिका प्रधान फिल्म है. कंगना राणावत ने एक पजैसिव प्रेमिका और पेट में पल रहे बच्चे के प्रति अपने भावों को खूबसूरती से प्रकट किया है. वीरदास इस से पहले ‘देल्ही बेली’ में अभिनय कर चुका है. वह ठंडा रहा है. पीयूष मिश्रा और जाकिर हुसैन के काम शानदार है.

फिल्म का निर्देशन कुछ अच्छा है. निर्देशक ने कई दृश्यों में नाटकीयता ला दी है. संवादों में चंबल के इलाके की बोली का प्रयोग किया गया है. क्लाइमैक्स में खूब गोलीबारी है. अलका सिंह के मरने के बाद राजनीतिबाजों द्वारा औनर किलिंग की बात भी कही गई है. फिल्म का गीतसंगीत पक्ष साधारण है. छायांकन अच्छा है.

भूतनाथ रिटर्न्स

‘भूतनाथ रिटर्न्स’ 2008 में आई फिल्म ‘भूतनाथ’ का सीक्वल है. फिल्म की कहानी वहां से आगे बढ़ती है जहां पिछले भाग में खत्म हुई थी. फिल्म का यह सीक्वल पिछले भाग से कमजोर है. पिछले भाग में भूतनाथ ने दर्शकों को खूब हंसाया था लेकिन इस में उस ने दर्शकों को अपेक्षाकृत ज्यादा नहीं हंसाया है. इस के उलट उस ने इस बार भ्रष्टाचार को खत्म करने की कोशिश की है.

चुनावी माहौल में आई इस फिल्म में भूतनाथ ने चुनावों के बारे में भी लंबीचौड़ी बातें कही हैं. वह नेताओं की तरह बातें भी करता है. चुनाव लड़ने के लिए क्या कानून है, यह भी बताता है. चुनावों में वोटर की कितनी उम्र होनी चाहिए और लोगों को वोट अवश्य देने चाहिए जैसी बातें फिल्म में डाली गई हैं.

पिछले भाग में भूतनाथ (अमिताभ बच्चन) के मरने पर उस की आत्मा न भटके, इस के लिए पूजापाठ किया जाता है. इस के बाद भूतनाथ भूतवर्ल्ड में आ जाता है.

कहानी इसी भूतवर्ल्ड से शुरू होती है. उसे भूतवर्ल्ड में देख कर वहां बहुत से भूत उस का मजाक उड़ाते हैं. यह भूतवर्ल्ड एक सरकारी बड़े दफ्तर की तरह है जहां भूत बनी आत्माएं दोबारा पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं. वह भूतवर्ल्ड के इंचार्ज से रिक्वैस्ट करता है कि उसे एक बार फिर धरती पर भेजा जाए जबकि इंचार्ज का कहना है कि पिछली बार वह धरती पर लोगों को डरा नहीं पाया था, इसलिए अब उसे धरती पर भेजना मुश्किल है. लेकिन बहुत मिन्नतों के बाद वह मान जाता है और भूतनाथ को धरती पर भेज देता है, इस ताकीद के साथ कि वह 3 बच्चों को डराए और फिर सम्मान के साथ भूतवर्ल्ड में वापसी करे.

भूतनाथ धरती पर आता है. उसे मुंबई के धारावी इलाके के एक पार्क में अखरोट (पार्थ मालेराव) नाम का एक बच्चा मिलता है. भूतनाथ उसे डराने की कोशिश करता है परंतु वह नहीं डरता. भूतनाथ को अखरोट देख सकता है. धीरेधीरे दोनों में दोस्ती हो जाती है. अब अखरोट और भूतनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहिम छेड़ते हैं. भाऊ साहब (बोमन ईरानी) एक भ्रष्ट नेता है जो चुनाव लड़ रहा है. अखरोट भूतनाथ को समझाबुझा कर भाऊ साहब के खिलाफ चुनाव में खड़ा होने को कहता है. भाऊ साहब अखरोट पर जानलेवा हमला कराता है.

एक भूत भला चुनाव कैसे लड़ सकता है, इस का तोड़ भी फिल्म में है. आखिरकार, भूतनाथ ?चुनाव लड़ता है और जीत जाता है. इधर, अस्पताल में अखरोट ठीक हो जाता है. अपना मिशन पूरा कर भूतनाथ भूतवर्ल्ड लौट जाता है.

फिल्म की यह कहानी अमिताभ और पार्थ मालेराव के इर्दगिर्द बुनी गई है. फिल्म में कोई हीरोइन नहीं है इसलिए ग्लैमर का अभाव है. गति भी धीमी है.

फिल्म में अमिताभ बच्चन कहीं से भी भूत नहीं लगा है. कहने को तो वह इस फिल्म का नायक है परंतु असली नायक तो पार्थ मालेराव है. उस का अभिनय काबिलेतारीफ है. फिल्म का एक गाना ‘पार्टी तो बनती है’ पहले से ही पौपुलर हो चुका है. यह गाना काफी अच्छा बन पड़ा है. छायांकन अच्छा है.

इस फिल्म को सिर्फ टाइमपास करने के लिए देखें. भूत, आत्मा वगैरह कुछ नहीं होते, न ही भूतवर्ल्ड जैसी कोई जगह है. यह सिर्फ निर्देशक की कोरी कल्पना है.

 

 

2 स्टेट्स

‘2 स्टेट्स’, जो चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित फिल्म है, में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय परिवार के विचारों, रहनसहन और संस्कृति के टकराव को दिखाया गया है. इसी तरह की एक फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ कई दशक पहले आई थी, जिस में उत्तर भारतीय व दक्षिण भारतीय नायकनायिका एकदूसरे से प्यार करते हैं परंतु सांस्कृतिक टकराव के कारण इस प्रेमी जोड़े को मौत को गले लगाना पड़ जाता है.

हमारे समाज में आज भी शादीब्याह के मामलों में जाति, धर्म और क्षेत्र के बंधनों को मांबाप प्राथमिकता देते हैं. मांबाप का अपना नजरिया होता है और युवा पीढ़ी का अपना. युवा पीढ़ी तो सिर्फ प्रेम की भाषा समझती है. आज युवकयुवतियां खूब पढ़लिख कर बड़ीबड़ी नौकरियां कर रहे हैं तो जाहिर है वे अपना जीवनसाथी भी अपनी पसंद का चुन रहे हैं. इस फिल्म में इस सचाई की झलक देखने को मिलती है.

फिल्म की कहानी रियल लाइफ की लगती है. यह एक ऐसी कहानी है जो हर छोटेबड़े शहर में देखने को मिल सकती है. ऐसी कहानी कुछ टीवी धारावाहिकों में भी देखने को मिल जाती है, जैसे ‘ये हैं मोहब्बतें’. फिल्म की कहानी भले ही धीमी गति से चलती है परंतु दर्शकों को कुछ हद तक बांधे रखती है. 

फिल्म की कहानी अहमदाबाद के आईआईएम से शुरू होती है, जहां दिल्ली का एक पंजाबी मुंडा कृष (अर्जुन कपूर) आईआईटी दिल्ली से बीटेक कर के एमबीए करने पहुंचा है. उस की मुलाकात वहां एमबीए करने चेन्नई से आई युवती अनन्या (आलिया भट्ट) से होती है. दोनों में प्यार हो जाता है पर दिक्कत है शादी की. कृष का परिवार पंजाबी है तो अनन्या का तमिल. दोनों की शादी में समाज और परिवार अड़ंगा डाल सकता है, इसलिए दोनों फैसला करते हैं कि वे अपनेअपने परिवारों को एकदूसरे से मिलवाएंगे और उन्हें शादी की इजाजत देने के लिए राजी कर लेंगे, मगर भाग कर शादी नहीं करेंगे.

दोनों के परिवार आपस में मिलते हैं. कृष की मां कविता (अमृता सिंह) को तमिल फूटी आंख नहीं सुहाते. उसे लगता है कि इस तमिल लड़की ने उन के भोलेभाले लड़के को फांस लिया है. यही हाल अनन्या के परिवार का भी है. पर कृष व अनन्या अपने परिवार वालों को राजी कर लेते हैं.

कहानी में कृष और उस के पिता (रोनित राय) के आपसी संबंधों की कहानी भी है. कृष का पिता एकदम कड़क है और जबतब वह कृष के सामने ही अपनी पत्नी पर हाथ उठाता रहता है. कृष अपने पिता से नफरत करता है.

फिल्म में कृष के पिता को अपने किए पर शर्मिंदगी होती है और वह खुद अनन्या के परिवार में जा कर कृष के लिए अनन्या का हाथ मांगता है. अनन्या और कृष की शादी हो जाती है.

जिन दर्शकों ने अर्जुन कपूर की पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘गुंडे’ देखी होगी वे इस फिल्म में उस का नया रूप देख कर चौंक जाएंगे. वह एकदम कूल लगा है. एक तरफ प्यारा पर थोड़ा सुस्त और बेहद बोर, दोनों को एकसाथ बनाए रखने की जद्दोजहद को उस ने बखूबी निभाया है. रोनित राय का अभिनय काफी अच्छा है. कई सीनों में वह अर्जुन कपूर पर भारी पड़ा है. अर्जुन कपूर रोमांटिक दृश्यों में नर्वस नजर आया है. आलिया बच्ची लगती है. उस ने लिपटुलिप किस सीन जम कर दिए हैं. अमृता सिंह लाजवाब है.

फिल्म का गीतसंगीत औसत है. एक पंजाबी गाना शादी के माहौल पर है. फिल्म का छायांकन अच्छा है. दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद की लोकेशनों पर शूटिंग की गई.

 

बिकिनी, अंतरंग दृश्य गलत नहीं

बेहद कम समय में हिंदी फिल्म जगत का लोकप्रिय सितारा बन चुकी अभिनेत्री सोनम कपूर अपने सामाजिक दायित्व भी समझती हैं. महिलाओं के हित में कुछ करने का जज्बा लिए सोनम कपूर से सोमा घोष ने फिल्मों समेत तमाम पहलुओं पर बातचीत की.
 
फिल्म ‘रांझणा’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ में सादगीपूर्ण अभिनय कर चर्चित हुई अभिनेत्री सोनम कपूर पिछले दिनों फिल्म ‘बेवकूफियां’ में सैक्सी भूमिका में नजर आईं. अपने 5 साल के कैरियर में सोनम पहली बार परदे पर बिकिनी में दिखाई दीं. जिस के कारण वे लोगों के बीच में चर्चा का विषय बनी रहीं.
किसी भी फिल्म का चयन करते समय सोनम अपनी उन्नति के ग्राफ को अधिक देखती हैं. उन का कहना है कि हर दिन कुछ ग्रोथ होनी आवश्यक है ताकि काम में रुचि बनी रहे. वे कहती हैं, बिना ग्रोथ के किरदार निभाने में मजा नहीं आता.
फिल्म को साइन करते वक्त वे पिता की राय अवश्य लेती हैं. उन के पिता अनिल कपूर 30 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में हैं. वे बताती हैं कि मेहनत, टाइम पर पहुंचना और सब के साथ अच्छा व्यवहार रखना आदि बातों का हमेशा ध्यान रखती हूं. सोनम कहती हैं, ‘‘मम्मी के बिना मैं कोई काम नहीं कर सकती. बहन रिया कपूर मेरी पार्टनर है. हम जो भी करते हैं साथसाथ करते हैं. भाई हर्षवर्धन कपूर छोटा है पर उस की राय बहुत ‘स्ट्रौंग’ है. मैं उस का आइडिया भी अपनाती हूं.’’
सैलिब्रिटी चाइल्ड होने के सोनम को कई फायदे नजर आते हैं. वे कहती हैं कि मैं इंडस्ट्री में पलीबढ़ी हूं, इसलिए हमारे लिए काम करना आसान है क्योंकि लोग हमें जानते हैं. पर मेहनत और प्रतिभा के बिना आप सफल नहीं हो सकते.
सोनम कपूर इन दिनों फिल्म में बिकिनी और अंतरंग दृश्य को ले कर चर्चा में हैं पर वे इसे गलत नहीं मानतीं. कहती हैं, ‘‘अगर कहानी की मांग है तो उसे करना ही पड़ता है. अभिनय के क्षेत्र में हर तरह की ऐक्ंिटग करनी पड़ती है,’’ आगे वे कहती हैं, ‘‘मेरे पिता एक कलाकार हैं और खुले विचारों के हैं. उन्होंने मुझे अभिनेत्री बनने के लिए प्रोत्साहित किया.’’
सोनम को हर लड़की की तरह फैशन करना पसंद है. उन्हें कपड़े, ज्वैलरी और जूते खरीदना बहुत अच्छा लगता है. वे फूडी हैं, पंजाबी डिशेज पसंद हैं. इसलिए शरीर को बैलेंस रखने के लिए वे दिन में 2 घंटे वर्कआउट करती हैं जिस में वेट टे्रनिंग और योगा शामिल होता है.
सोनम की 2 फिल्में आने वाली हैं. एक फिल्म ‘खूबसूरत’ उन की बहन रिया कपूर बना रही हैं. यह फिल्म 80 के दशक की ‘खूबसूरत’ की रीमेक है. इस के अलावा वे अरबाज खान के प्रोडक्शन तले बन रही फिल्म ‘डौली की डोली’ में भी अभिनय कर रही हैं.
एक मशहूर प्रसाधन कंपनी की ब्रैंड ऐंबैसेडर सोनम महिला अधिकारों को ले कर सजग हैं. वे कहती हैं कि उन सभी महिलाओं को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिन्होंने कठिन हालात में काम किया है. जब मैं 15 साल की थी तो अपने अलावा किसी और के बारे में सोच नहीं सकती थी. पर बंगाल की 15 वर्षीय देवाद्रिता मंडल ने एक पेय बना कर, उन बच्चों का ध्यान रखा जो कुपोषण के शिकार हैं. इस पेय से उन्हें थोड़ा पोषण मिलेगा.
वहीं सोनम ने मांओं से आग्रह किया कि वे बेटों को समझाएं कि वे अपनी पत्नी, गर्लफ्रैंड या बहन के साथ किस तरह का व्यवहार करें. अगर मां ही बेटेबेटी में फर्क करेगी तो दुनिया उसे अच्छी नजरों से नहीं देख सकती. उन्होंने बताया कि वे पिछले 7 सालों से महिलाओं में कैंसर 
के प्रति जागरूकता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही हैं.
तनाव के समय सोनम अपने परिवार और दोस्तों के बीच रहती हैं. उन्हें अकेले रहना पसंद नहीं.
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