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ड्रग्स ने ली जान

हौलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार फिलिप सेमर हौफमैन पिछले दिनों अपने बाथरूम में संदिग्ध अवस्था में मृत पाए गए. 46 वर्षीय इस अभिनेता की जब न्यूयार्क के एक अपार्टमैंट में लाश मिली तब वहां से एक इंजैक्शन व एक पुडि़या बरामद की गई. पुडि़या में ड्रग्स थी. उन की मौत शायद ड्रग के ओवरडोज से हुई है.

‘कैप्टो’ फिल्म के लिए ‘औस्कर’ पुरस्कार हासिल करने वाले फिलिप ने कई फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाई हैं. उन की मौत पर शाहरुख खान समेत कई कलाकारों ने खेद प्रकट किया. वैसे ड्रग्स की ओवरडोज के चलते इस से पहले कई फिल्मी सितारे अपनी जान गंवा चुके हैं. तमाम सुविधाओं के बावजूद ये सितारे नशे के शिकार हो कर अपनी जिंदगी गंवा बैठते हैं.  द्य

 

 

मेघना की नौटंकी

नरेंद्र मोदी इन दिनों चुनावी रैलियों से ज्यादा फिल्मी नौटंकियों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. ज्यादा वक्त नहीं हुआ जब अभिनेत्री मल्लिका शेरावत ने उन्हें हैंडसम बैचलर कह कर चर्चा बटोरी थी. उस के बाद सलमान खान उन के साथ पतंगबाजी कर मीडिया में छाए रहे. हालांकि इस पतंगबाजी से उन को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ. लेकिन अब एक और नौटंकी के चलते मोदी का नाम सुर्खियों में है. इस बार मौडल मेघना पटेल ने सोशल नैटवर्किंग साइट ट्विटर पर एक फोटो अपलोड की है, जिस में वे न्यूड पोज दे रही हैं. उन के हाथ में मोदी के नाम का पोस्टर है. मेघना की यह पब्लिसिटी जब आलोचना का शिकार हुई तो भाजपा भी इस से पल्ला झाड़ते हुए आपत्ति दर्ज कराने लगी.

 

हंसी और हादसे

लगता है हास्य कलाकारों का हंसी और हादसों से गहरा ताल्लुक है. कुछ महीने पहले कपिल शर्मा के साथ एक हादसा हुआ था जब उन के सैट में आग लग गई और लाखों का सैट जल कर राख हो गया. बाद में उन्हें अपने शो के लिए नया सैट बनवाना पड़ा. अब कपिल के ही सहयोगी रह चुके गुत्थी यानी सुनील ग्रोवर भी हादसे का शिकार हो गए. हालांकि उन का सैट सहीसलामत है लेकिन उन की कार का ऐक्सिडैंट हो गया.

दरअसल, उन की कार नवी मुंबई में खारगढ़ के पास एक गाड़ी से टकरा गई. हादसे के वक्त सुनील ग्रोवर के साथ उन की मां थीं. सुनील ग्रोवर को मामूली चोट आई है. लेकिन दूसरी कार में सवार 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.

 

सिंगर बनीं आलिया

फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ फेम अभिनेत्री आलिया सिर्फ अभिनय के मामले में ही उस्ताद नहीं हैं बल्कि मैडम गाना भी गाती हैं. तभी तो उन्होंने आने वाली फिल्म ‘हाइवे’ में न सिर्फ अभिनय किया है बल्कि औस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान के लिए एक गाना भी रिकौर्ड किया है. इस गाने में उन के साथ पाकिस्तानी जोड़ी जेब और हानिया ने भी आवाज दी  है. आलिया कहती हैं कि उन्हें बिलकुल विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्हें रहमान सर के साथ गाना गाने का मौका मिला. वे कहती हैं कि फिल्म ‘हाइवे’ उन के कैरियर की सब से महत्त्वपूर्ण फिल्म हो गई है, न सिर्फ ऐक्ंिटग बल्कि अब तो गायकी के भी लिए.

 

पाक फिल्मों की चाह

बीते कुछ सालों से बौलीवुड की फिल्में भारत के अलावा दूसरे मुल्कों में भी अच्छीखासी कमाई कर रही हैं. इसी फेहरिस्त में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है. इस साल रिलीज हुई सलमान खान, अक्षय कुमार, आमिर खान की फिल्मों को न सिर्फ पाकिस्तान में बड़ी रिलीज मिली है बल्कि उन फिल्मों ने जोरदार कमाई भी की है.

पाकिस्तान में बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अभिनेत्री शबाना आजमी कहती हैं कि उन्हें अच्छी स्टोरी मिली तो वे पाकिस्तानी फिल्मों में काम करना पसंद करेंगी. यह बात उन्होंने तब कही जब वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो के विशेष आमंत्रण पर सिंध महोत्सव में हिस्सा लेने वहां गई थीं. उन के मुताबिक, कला व संस्कृति के क्षेत्र में दोनों मुल्कों में काफी समानता है इसलिए वहां की फिल्मों में काम कर के उन्हें खुशी होगी.

 

कर ले प्यार कर ले

बौलीवुड के जानेमाने फिल्म निर्माता सुनील दर्शन, जिन्होंने 90 के दशक में आमिर खान को ले कर ‘राजा हिंदुस्तानी’ फिल्म बनाई थी, ने अपने बेटे शिव दर्शन को लौंच करने के लिए ‘कर ले प्यार कर ले’ फिल्म बनाई है. लेकिन उन्होंने बजाय अच्छी पटकथा और सब्जैक्ट चुनने के, घिसेपिटे मसालों वाले सब्जेक्ट को चुना. ऊपर से तुर्रा यह कि निर्देशक राजेश पांडे ने बेटे को मनमानी करने की छूट दी और बेटा फिल्म को डुबो गया. फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो थोड़ाबहुत भी आकर्षित करे.

कहानी घिसीपिटी है. कबीर (शिव दर्शन) और प्रीत (हसलीन कौर) बचपन में साथसाथ पलेबढ़े हैं. बड़ा होने पर हालात उन्हें जुदा कर देते हैं. उन की फिर से मुलाकात कालेज में होती है. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगते हैं. कालेज का एक अन्य युवक जैस (अहम शर्मा) भी प्रीत को चाहता है. वह कबीर और प्रीत के बीच आ जाता है.

कबीर और जैस के बीच मारामारी होती है जिस में जैस की मौत हो जाती है. जैस का पिता धनराज गिरजी उर्फ डीजी (रूमी) एक डौन है. वह कबीर और प्रीत के पीछे पड़ जाता है. लेकिन कबीर डीजी और उस के आदमियों को मार कर प्रीत का हाथ थाम लेता है.

निर्माता सुनील दर्शन ने फिल्म में पैसा पानी की तरह बहाया है. उस ने बेटे को स्टंट सींस की टे्रनिंग के लिए बैंकौक भी भेजा. मगर बेटा फिसड्डी ही साबित हुआ है. उस ने एक बिगड़ैल युवक की भूमिका निभाई है. हर वक्त वह मोटरसाइकिल पर स्टंट करता नजर आता है. लेकिन न तो वह एक्शन में जमा है और न ही रोमैंटिक दृश्यों में छाप छोड़ सका है.

फिल्म की नायिका हसलीन कौर 2011 में ‘मिस इंडिया अर्थ’ रह चुकी है. इस के अलावा वह दर्जनों कमर्शियल विज्ञापनों में काम कर चुकी है. इस फिल्म में उस ने निराश किया है.

फिल्म का निर्देशन ठीक नहीं है. गीतसंगीत में भी दम नहीं है. फिल्म के अंत में एक गाना जबरदस्ती डाला गया है. छायांकन थोड़ाबहुत अच्छा है. 

या रब

फिल्म ‘या रब’ आतंकवाद का चेहरा दिखाती है. दुनिया भर में आतंकवाद को फैलाने वाले लोग कौन हैं? जेहादियों को तैयार कर पूरी दुनिया में कौन खूनखराबा करा रहा है? इस का परदाफाश इस फिल्म में किया गया है. इस से पहले भी कई फिल्मों में आतंकवाद का सही चेहरा दिखाने की कोशिश की गई है परंतु ‘या रब’ में सीधेसीधे इस का जिम्मेदार धर्म के रहनुमाओं को ठहराया गया है. धर्म के ठेकेदार मुल्लामौलवी अपना उल्लू सीधा करने के लिए भोलेभाले निर्दोष लोगों को धर्म की बातों में उलझा कर उन्हें जेहाद के लिए तैयार करते हैं.

मुल्ला लोग निर्दोषों को जन्नत में हूरें मिलने और खुदा के लिए अपनी जान देने पुण्य मिलने की बातें कह कर गुमराह करते हैं और इसलाम धर्म का बेजा फायदा उठाते हैं. निर्देशक हसनैन हैदराबादवाला ने अपनी बात को असरदायक ढंग से कहने की कोशिश जरूर की है परंतु पूरी फिल्म लफ्फाजी बन कर रह गई है. फिल्म की शुरुआत में ही साफ हो जाता है कि आगे क्या होने वाला है.

फिल्म की कहानी एक मौलाना जिलानी (अखिलेंद्र मिश्रा) पर केंद्रित है, जो युवाओं को धर्म के नाम पर उकसाता रहता है और उन्हें खूनखराबा करने के लिए भड़काता है. उस की एक बेटी अमरीन (अर्जुमन मुगल) है जिस की शादी इमरान (विक्रम सिंह) से हुई है. जिलानी एक साजिश के तहत एक मौल में बम विस्फोट कराता है. इस विस्फोट में अमरीन गंभीर रूप से घायल हो जाती है.

मामले की तहकीकात ऐंटी टैरेरिस्ट अफसर रणविजय (एजाज खान) करता है. मौलाना जिलानी इसलिए परेशान है क्योंकि अगर अमरीन बच जाती है तो वह पुलिस को बयान दे देगी कि विस्फोट करने वाला कौन है. उस ने विस्फोट से पहले उसे देखा था. वह मौलाना जिलानी का ही खास आदमी था.

मौलाना किसी भी कीमत पर अमरीन को मार डालना चाहता है. इंस्पैक्टर रणविजय मौलाना जिलानी के गुंडों को रोक पाने की कोशिश में मारा जाता है. उधर, कोमा में पड़ी गर्भवती अमरीन का औपरेशन कर बच्ची का प्रसव डाक्टर करते हैं. बाद में अमरीन को क्लीनिकली डैड करार दे दिया जाता है. तभी एक नौजवान, जो कभी मौलाना के बहकावे में आ कर जिहादी बना था और जेल में बंद था, भाग कर मौलाना का अंत कर देता है. धर्म के धंधेबाज का खात्मा होता है.

फिल्म की यह कहानी काफी लाउड है. निर्देशन साधारण है. धर्म के नाम पर भाषणबाजी ज्यादा की गई है. निर्देशक की फिल्म बनाने की मंशा तो ठीक लगती है परंतु वह अपनी बात ढंग से कह नहीं सका है.

पूरी फिल्म में मौलाना जिलानी की भूमिका में अखिलेंद्र मिश्रा छाया हुआ है. उस की गरजदार आवाज में दम है. इंस्पैक्टर रणविजय की भूमिका में एजाज खान है जो बिग बौस से सुर्खियों में आ चुका है. इस फिल्म में उस ने अपना दम नहीं दिखाया है. बाकी सभी कलाकार बेकार हैं.

फिल्म का गीतसंगीत पक्ष बेकार है. छायांकन अच्छा है.

 

हंसी तो फंसी

‘हंसी तो फंसी’ एक रोमांटिक कौमेडी फिल्म है, जिसे देख कर आप कुछकुछ हंसेंगे, कहींकहीं पर खीझेंगे पर फंसेंगे नहीं. फिल्म के टाइटल से लगता है, यह हीरोइन को पटाने वाली फिल्म होगी. हीरो हीरोइन को पटा लेगा और फिर मौज करेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. फिल्म करन जौहर ने बनाई है, इसलिए उस ने आजकल फिल्मों में युवाओं द्वारा दिखाई जा रही ओछी हरकतों से बचते हुए युवाओं की बदली सोच को दिखाया है. लगभग पूरी फिल्म में शादी का माहौल दिखाया गया है. शादी के माहौल में गुजराती और पंजाबी कल्चर का मेल दिखाने की कोशिश निर्देशक ने की है. निर्देशक चाहता तो उस शादी के माहौल के बीच हीरोहीरोइन के बीच छेड़छाड़, लव सीन डाल सकता था लेकिन उस ने ऐसा न कर हंसी का माहौल बनाए रखा है.

बौलीवुड फिल्मों का एक घिसापिटा फार्मूला है जिस में 2 हीरोइनें और 1 हीरो होता है. मध्यांतर से पहले हीरो एक हीरोइन से प्यार करता है, मगर मध्यांतर के बाद वह उसे छोड़ कर दूसरी से इश्क करने बैठता है. ‘हंसी तो फंसी’ में भी 2 हीरोइनें हैं, मगर निर्देशक ने हीरो को दोनों हीरोइनों से फुल इश्क करने की छूट नहीं दी है. उस ने इस फार्मूले को नए तरीके से अपनी फिल्म में आजमाया है.

इस फिल्म में 2 हीरोइनें हैं परिणीति चोपड़ा और अदा शर्मा. पूरी फिल्म परिणीति चोपड़ा के किरदार के आसपास घूमती है. फिल्म का टेस्ट आप को परिणीति की पिछली फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ जैसा दिखेगा.

फिल्म की कहानी कुछ हद तक दर्शकों को बांधे रखती है. कहानी निखिल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) और करिश्मा (अदा शर्मा) की है. दोनों में पिछले 7 सालों से अफेयर है. निखिल अपने कैरियर में कन्फ्यूज्ड रहता है. इसलिए 7 सालों के दौरान निखिल और करिश्मा के बीच कई बार बे्रकअप हो चुका है. इस बार दोनों की शादी की तैयारियां होती हैं. शादी से पहले करिश्मा निखिल के सामने 5 करोड़ रुपए कमाने की शर्त रखती है जिसे वह मान लेता है.

शादी से पहले इन दोनों के घर मेहमान आ चुके हैं. शादी से पहले के फंक्शन भी स्टार्ट हो चुके हैं. इस बीच एक दिन करिश्मा की बहन मीता (परिणीति चोपड़ा) जब अपने घर पहुंचती है तो हलचल मच जाती है. दरअसल, मीता 7 साल पहले घर से मोटी रकम चुरा कर चीन भाग गई थी ताकि वहां वह अपना प्रोजैक्ट शुरू कर सके. मीता कुछ दवाएं लेने की आदी है. इन दवाओं के बिना वह कुछ नहीं कर सकती. करिश्मा निखिल से मीता के कहीं रहने का इंतजाम करने को कहती है. मीता जबजब अपने घर में जाती है वहां का माहौल डिस्टर्ब हो जाता है. इसी शादी के माहौल में मीता और निखिल के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं. ठीक शादी वाले दिन निखिल का माइंड चेंज हो जाता है. वह करिश्मा से शादी का इरादा छोड़ कर मंडप से भाग खड़ा होता है और भाग कर मीता का हाथ थाम लेता है.

फिल्म का क्लाइमैक्स ठीक उसी तरह का है जैसा ‘शुद्ध देसी रोमांस’ का था. निर्देशक इस छोटी सी कहानी को खींचने और रोचक बनाने में सफल रहा है. कहानी का फर्स्ट हाफ कुछ कंफर्टेबल नहीं लगेगा, मगर सैकंड हाफ दिलचस्प है. कुछ सीन दर्शकों को हंसाहंसा कर लोटपोट कर देते हैं.

पूरी फिल्म में परिणीति चोपड़ा का लुक टौमबौय जैसा है. उस ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को अचंभित सा किया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा इस से पहले करन जौहर की ही फिल्म ‘स्टुडैंट औफ द ईयर’ में अपनी परफौर्मेंस दिखा चुका है. इस फिल्म में उस की कैमिस्ट्री परिणीति चोपड़ा के साथ खूब जमी है. अदा शर्मा सुंदर लगी है परंतु उसे ज्यादा फुटेज नहीं मिली है.

फिल्म का संगीत इस की विशेषता है. शादी के मौकों पर गाए जाने वाले पंजाबी गानों ने फिल्म में धूम मचाई है. फिल्म का छायांकन अच्छा है.

 

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